गांव की सुनहरी धूप || The golden sunlight of the village

 गांव की सुनहरी धूप

गांव के छोटे से कच्चे मकान में रहने वाली राधा अपनी मां के साथ सवेरे उठकर खेतों में काम करने जाती थी। सूरज की पहली किरण जब गांव के हरे-भरे खेतों पर पड़ती, तो राधा की आंखों में एक नई चमक आ जाती। वह अपने सपनों की दुनिया में खो जाती थी।

राधा का सपना था कि वह पढ़-लिखकर गांव की पहली महिला डॉक्टर बने। लेकिन गांव की आर्थिक स्थिति और सामाजिक मान्यताओं के कारण उसकी पढ़ाई बीच में रुक गई थी। मां के साथ खेतों में काम करते हुए भी वह हर समय किताबों के पन्ने याद करती रहती। उसकी मां जानती थी कि राधा की आंखों में बड़े सपने हैं।

एक दिन गांव में एक समाजसेवी संस्था आई, जिसने लड़कियों की शिक्षा पर जोर दिया। राधा की मां ने साहस दिखाया और संस्था से मदद मांगी। राधा को फिर से स्कूल जाने का मौका मिला। दिन में खेतों में काम और रात में पढ़ाई, राधा ने कभी हार नहीं मानी।

समय बीता और राधा की मेहनत रंग लाई। उसने मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया और पढ़ाई में अव्वल रही। आज राधा गांव की पहली डॉक्टर है, जो न केवल गांव बल्कि आसपास के गांवों में भी लोगों का इलाज करती है। उसकी सफलता ने गांव की अन्य लड़कियों को भी सपने देखने और उन्हें पूरा करने की प्रेरणा दी।

राधा की कहानी यह सिखाती है कि मेहनत, साहस और सपनों को जीने का जज़्बा हो, तो कोई भी मुश्किल राह आसान हो जाती है।

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